ख्यालात .
कुछ शेर ख्यालों में अटके रहते हैं . कुछ ख्याल दिमाग में बैठ जाते हैं.
Wednesday, 23 November 2011
दुनियादारी : बशीर बद्र .
कोई हाथ भी न मिलाएगा ,जो गले मिलोगे तपाक से
ये नए मिजाज़ का शहर है ;ज़रा फ़ासले से मिला करो.
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