ख्यालात .
कुछ शेर ख्यालों में अटके रहते हैं . कुछ ख्याल दिमाग में बैठ जाते हैं.
Thursday, 8 September 2011
ग़ालिब : फ़ायदा.
हमारे शेर हैं अब सिर्फ दिल्लगी के 'असद'
खुला की फ़ायदा अर्ज़ -ए -हुनर में ख़ाक नहीं.
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