कुछ शेर ख्यालों में अटके रहते हैं . कुछ ख्याल दिमाग में बैठ जाते हैं.

Thursday 25 August 2011

ग़ालिब : तूफ़ान .

 ग़ालिब  हमे  न  छेड कि फिर जोश-ए- अश्क से  
 बैठे  हैं हम तहय्या-ए-तूफाँ किए हुए .

No comments:

Post a Comment