कुछ शेर ख्यालों में अटके रहते हैं . कुछ ख्याल दिमाग में बैठ जाते हैं.

Wednesday 24 August 2011

अफ़सोस .

कोहे - अना की बर्फ में दोनों जमे रहे 
जज़्बों   की तेज़ धूप में न तू पिघला न मैं .

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