ख्यालात .
कुछ शेर ख्यालों में अटके रहते हैं . कुछ ख्याल दिमाग में बैठ जाते हैं.
Thursday, 25 August 2011
ऐसी-वैसी बातें .
ऐसी -वैसी बातों से तो अच्छा है खामोश रहो .
या फिर ऐसी बात कहो जो खामोशी से अच्छी हो.
कारोबार.
अब मुझसे कारोबार की हालत न पूछिए
आईने बेचता हूँ अंधों के शहर में.
ग़ालिब : तूफ़ान .
ग़ालिब हमे न छेड कि फिर जोश-ए- अश्क से
बैठे हैं हम तहय्या-ए-तूफाँ किए हुए .
Wednesday, 24 August 2011
ग़ालिब : नसीब.
हाथों की लकीरों पे मत जा ऐ ग़ालिब
नसीब उन के भी होते हैं जिन के हाथ नहीं होते .
अफ़सोस .
कोहे - अना की बर्फ में दोनों जमे रहे
जज़्बों की तेज़ धूप में न तू पिघला न मैं .
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